“निपाह” एक ऐसा वायरस जिसे मौत का वायरस भी कह सकते हैं | निपाह वायरस इंसेफ्लाइटिस यानि कि मस्तिष्क की सूजन से जुड़ा हुआ है | यह वायरस चमगादड़ो द्वारा खाये गए फलों के ज़रिये जानवरों और मनुष्यों को अपनी चपेट में ले रहा है | बता दें कि निपाह वायरस की पहचान पहली दफा 1998 में सिंगापुर एवं मलेशिया के कैम्पग सुंगई निपाह में इस बीमारी के फैलने से हुई | उस वक्त सुअर इस बीमारी के फैलने का कारण बने थे | फिलहाल भारत में इस खतरनाक वायरस की शुरुवात केरल राज्य से हुई है | सूत्रों के मुताबिक केरल में यह वायरस अब तक करीबन 25 लोगों की मौत का कारण बन चुका है तो कई मरीजों के हालात अब भी नाजुक बनी हुई है | इस वायरस के संक्रमण में आने पर यह तेजी से फैलने की संभावना है |
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बताना चाहते हैं कि यह मामला तब और ज्यादा गहरा गया जब इस वायरस ने केरल की एक नर्स लिनी पुथुस्सेरी की भी जान ले ली | सरकार के लिए दिन ब दिन यह चिंता का विषय बनता जा रहा है क्योंकि इस वायरस को रोकने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन या दवा उपलब्ध नही हो पाई है | आपको बता दें कि निपाह वायरस के शुरुआती लक्षण क्या है | वैसे तो ये वायरस शरीर मे 5 से 13 या 14 दिनों में घर कर देता है और उसके बाद शरीर में इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं | जिसके दौरान तेज बुखार, उल्टी, सिर दर्द, अचानक बेहोश हो जाना सांस लेने में परेशानी या फिर आंखों में धुंधलापन होने लगता है | यह वायरस इतना ज्यादा खतरनाक है कि 24 से 48 घन्टे के भीतर ही व्यक्ति को कोमा में पहुँचा देता है | यहाँ तक कि उस व्यक्ति की मौत भी हो सकती है | इसलिए इन लक्षणों को कभी अनदेखा ना करें और तुरंत इसकी जाँच जरूर करवाये |
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बताना चाहते हैं कि कुछ उपायों को करके इस वायरस से बचा जा सकता है | पहली बात तो पेड़ से गिरे हुए फलों को खाने से बचें | खजूर के फल खाने से परहेज करना चाहिए | हो सके तो आम और केला इन फलों को भी खाने से बचे | यदि आप खा भी रहे हो तो उन्हें अच्छे से साफ कर लें | ध्यान दें कि जिन फलों या सब्जियों को आप खाने में इस्तेमाल करने वाले हैं वे भी अच्छी तरह से साफ हो | शौच में इस्तेमाल होनेवाले मग या बाल्टी को साफ रखें | यदि किसी व्यक्ति को यह बीमारी हुई है तो उसके संक्रमण से बचें या फिर किसी व्यक्ति की इस बीमारी से मौत हो गई है तो ऐसे स्थान पर जाते समय मुँह पर कपड़ा या मास्क जरूर लगाएं | जिन इलाकों में सुअर या चमगादड़ हों उन इलाकों में जाने से बचना चाहिए |
इन छोटी छोटी बातों पर ध्यान रखने से इस बीमारी से बचा जा सकता है | बता दें कि निपाह वायरस ने पहली बार भारत में दस्तक नही दी बल्कि इससे पहले भी वर्ष 2001 में जनवरी और फरवरी के महीने में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में यह वायरस पाया गया था | उस वक्त करीब 65 लोग इसकी चपेट में आ गए थे जिनमें से करीब 45 लोगों की मौत हो गई थी | उसके बाद 2007 में पश्चिम बंगाल के ही एक गांव नदियां में इसका मामला दर्ज हुआ था |
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